आखिर क्यों जरूरी है संतुलित भोजन balanced diet chart for good health

संतुलित आहार balanced diet

शरीर को अनेक पोषक तत्वों (Nutrients) की आवश्यकता होती है यह शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं। कोई एक खाद्य पदार्थ इन सब की कमी को पूरा नहीं कर सकता। कुछ पदार्थों ऊर्जा देते हैं, कुछ हमारे शरीर की संरचना व मांसपेशियों का निर्माण करते हैं। और अन्य शरीर की क्रियाओं को सुचारू ढंग से चलाते हैं।एक उचित व संतुलित आहार में वे सभी पदार्थ होने चाहिए जो मिलकर सारे पोषक तत्व प्रदान कर सकें इसे ही हम संतुलित भोजन कहते हैं।

संतुलित आहार balanced diet plan

कार्बोहाइड्रेट्स (Carbohydrates)

  Carbohydrate निम्न प्रकार की भोजन से प्राप्त होती है।
अनाज (Grain)
अनाज के उत्पाद(Grain products)
आलू व अन्य जड़ वाली सब्जियां(Potatoes and other root vegetables)
वनस्पति(Vegetation)
शर्करा(Sugars)
शरबत(Syrup)
फल(Fruit) आदि।
   पेट से शर्करा खून द्वारा यकृत में पहुंचती है जहां यह ग्लाइकोजन के रूप में जमा हो जाती है कुछ शर्करा मांसपेशियों में भी रहती है यह दोनों जगह जब भर जाती है तो अतिरिक्त शर्करा चर्बी के रूप में चमड़ी के नीचे जमा हो जाती है यह चर्बी खासकर पेट एवं कूल्हों पर अधिक चढ़ती है इस प्रकार जरूर से ज्यादा खाने से मोटापा बढ़ने लगता है सैलूलोज के रूप में कार्बोहाइड्रेट आंतो और उदर की गति को नियंत्रित करता है।
हमारे भारत के भोजन में कार्बोहाइड्रेट अधिक मात्रा में पाया जाता है 1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट से 4 कैलोरी ऊर्जा मिलती है।
Carbohydrate body को तत्काल ऊर्जा प्रदान करते हैं इसलिए धावक व खिलाड़ियों को कार्बोहाइड्रेट समय-समय पर दिया जाता है।

वसा /चर्बी(Fat / fat)

वसा के स्रोत (Source of fat)
वनस्पति घी, मक्खन, देसी घी, तेल, अंडा, क्रीम, मलाई, सोयाबीन, मूंगफली आदि चीजें शरीर को चर्बी देती है।
50 किलो वजन के पुरुष को प्रतिदिन 15 से 20 ग्राम वसा लेनी चाहिए।
अधिक वर्षा खाने से मोटापा बढ़ता है और धमनियों में चर्बी जमा होने से खतरनाक रोग हो सकते हैं जैसे-हार्ट अटैक, मस्तिष्क में रक्त प्रवाह है रुकना, लकवा इत्यादि।

प्रोटीन(Protein)
प्रोटीन के स्रोत(sources of protein)
सोयाबीन(Soybean)
दालें (Pulses)
दूध(Milk)
पनीर(cottage cheese)
अंडा(Egg)
मांस(Meat)
मछली(fish)
आदि।

हमारे शरीर का विकास तथा शरीर की मरम्मत प्रोटीन से होती है। हमारी मांसपेशियां प्रोटीन से बनती है प्रोटीन की इन ईटों को अमीनो एसिड कहते हैं।यह अमीनो एसिड जुड़कर मांसपेशियों व अन्य अंगों की रचना करते हैं विभिन्न क्रियाओं में सहायक एंजाइम, हार्मोनस व खून के लिए भी प्रोटीन जरूरी होती है। प्रोटीन द्वारा विभिन्न प्रकार की एंटीबॉडीज शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है।
प्रतिदिन शरीर में 7 ग्राम प्रोटीन लेना चाहिए।
प्रोटीन पाचन में कठिन होती है।
सबसे ज्यादा प्रोटीन सोयाबीन में पाई जाती है।
वजन बढ़ाने में प्रोटीन कारगर साबित होती है।

खनिज(Mineral)

खनिज जैसे- कैल्शियम, फास्फोरस, आयोडीन, लोहा,जिंक, तांबा, सोडियम, पोटेशियम व अन्य।
हड्डियों व दांतो की रचना एवं मरम्मत करते है।
शरीर की कोशिकाओं की रचना करते हैं।
शरीर के विभिन्न द्रव्यों, खासकर ब्लड के तत्व हैं।
कार्बोहाइड्रेट ,प्रोटीन, वसा को उपयुक्त तरीके से काम में लाने में सहायक है।
शरीर को ऑक्सीजन की कमी के खतरों से बचाते हैं।
तांबे की एक बहुत सूक्ष्म मात्रा, शरीर में लोहे के उपयोग के लिए आवश्यक होती है।यदि तांबे के बर्तन में खाद्य सामग्री को गर्म किया जाए तो तांबे की आवश्यक मात्रा मिल जाती है।
एक व्यस्क व्यक्ति को 400 मिलीग्राम कैल्शियम एवं 28 मिलीग्राम आयरन प्रतिदिन लेना चाहिए।
सीताफल, दूध कैल्शियम का सबसे अच्छा स्रोत है।
हरी पत्तेदार सब्जियां, मेवे वह मछली मैं आयरन की प्रचुर मात्रा पाई जाती है।
पालक में प्रचुर मात्रा में आयरन पाया जाता है

नमक व आयोडीन(Salt and iodine)

नमक में सोडियम और क्लोराइड होता है।
आयोडीन की सूक्ष्म मात्रा थायराइड ग्रंथि के लिए आवश्यक है। आजकल आयोडीन युक्त नमक उपलब्ध है जो कि आयोडीन की कमी को पूरा करता है।
जिंक, Selenium आधी की बहुत थोड़ी सी मात्रा शरीर को ऑक्सीडेंट नामक रसायनों से बचाती है।

विटामिन्स (Vitamins)

विटामिंस बहुत प्रकार की होती है
विटामिन ए (Vitamin A)
विटामिन ए गाजर शकरकंद टमाटर आलू की मखन अंडा यकृत आदि में पाई जाती है।
विटामिन ए की कमी से रतौंधी तथा अन्य लोग भी हो जाते हैं। जैसी आंखों की रोशनी में कमी, कीटाणु के विरुद्ध शरीर की आंतरिक सतह की प्रतिरोधक क्षमता में कमी के कारण आंख, मुंह है वह फेफड़ों में संक्रमण होना। इसकी कमी से बच्चों में हड्डियों और दातों का विकास बीमा हो जाता है

Vitamin B

विटामिन b1 या थायमिन

थायमीन विटामिन, शरीर के विकास, खुराक, पाचन क्रिया व शर्करा सी ऊर्जा उत्पादन तथा तंत्रिकाओं के सुचारू रूप से कार्य करने में सहायक है।
Vitamin B1 की कमी से कई प्रकार के मस्तिक रोग हो जाते हैं जैसे तंत्रिकाओं की कमजोरी, सूजन व उत्तेजित शीलता बढ़ जाती है। पैरों में जलन व्हाय झनझनाहट महसूस होती है। Vitamin B1 की कमी से बेरी बेरी नामक रोग हो जाता है।
अनाज, चावल की भूसी, दूध, मांस व सब्जियों से थायमीन आवश्यक मात्रा में मिलती है।

विटामिन बी 2 या राइबोफ्लेविन

यह भी विटामिन b1 के समान विकास एवं संरचना में सहायक होती है।
राइबोफ्लेविन की कमी से मुंह के कोनो व होंठ फटने लगते हैं जीभ में सूजन आ जाती है।
हरी सब्जियां, दूध, अंडा, सोयाबीन व मांस से हमें विटामिन B2 मिलता है।

नियासिन (Niacin)

नियासिन नामक विटामिन मस्तिष्क का चमड़ी को स्वस्थ रखता हैं।
किस विटामिन की कमी से पेलेग्रा नामक रोग हो जाता है। इस रोग में चमड़ी पर दाने उभर आते हैं और लाल पड़ जाती है। मुह के कोने फटने लगते हैं दस्त लगने शुरू हो जाते हैं तथा मानसिक असंतुलन भी हो सकता है।
नियासिन अंकुरित गेहूं मांस मछली आदि में प्रचुर मात्रा में मिलता है।

फोलिक एसिड विटामिन B12 बी6 भी शरीर के विकास को नियंत्रित रखने में, खून बनाने में, मांसपेशियों, चमड़ी व तंत्रिकाओं को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक है।


Folic acid vitamin B12 की anaemia disease हो जाता है।
अगर आप अपने शरीर में अच्छे बदलाव लाना चाहते हैं वजन बढ़ाना व घटाना चाहते हैं तो अपने भोजन में इस संतुलित आहार को जरूर अपनाना चाहिए।

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