विज्ञान शिक्षण की आगमन और निगमन विधि | science teaching methods

विज्ञान शिक्षण विधियां [Science teaching methods]

विज्ञान शिक्षण कार्य करवाने के दौरान एक अध्यापक द्वारा विभिन्न प्रकार की शिक्षण विधियां काम में ली जाती है जिनमें से कुछ निम्न है- आगमन विधि, निगमन विधि,
Types of teaching methods
 प्रयोजना विधि, व्याख्यान विधि, प्रदर्शन विधि, व्याख्यान- प्रदर्शन विधि, अनुसंधान विधि, समस्या समाधान विधि, खेल विधि, अवलोकन विधि या निरीक्षण विधि,प्रयोगशाला विधि आदि।

आज हम चर्चा करेंगे विज्ञान की आगमन और निगमन शिक्षण विधियों पर-

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आगमन और निगमन विधि

आगमन विधि Arrival method

    विज्ञान शिक्षण की आगमन विधि का सामान्य अर्थ है-‘की ओर आना’।
इस विधि के अनुसार अध्यापक सबसे पहले कई तरह के असंगठित तथ्य विद्यार्थियों को देता है। इसके बाद विद्यार्थी किसी समस्या या विषय वस्तु के संदर्भ में इन तथ्यों पर आपस में विचार-विमर्श करते हैं। इस से छात्रों द्वारा अलग अलग तरीकों या विचारों की सहायता से प्राकल्पना का विश्लेषण करें उसे स्वीकार या अस्वीकार किया जाता है।

आधार इस विधि में ‘उदाहरण से नियम की ओर’

आगमन विधि के गुण Properties of arrival method

➨    इस विधि द्वारा स्थाई ज्ञान अर्जित होता है क्योंकि यह विभिन्न उदाहरणों द्वारा दिया हुआ तथा छात्र के स्वयं के परीक्षण, निरीक्षण बुद्धि तथा सूझबूझ पर आधारित होती है।
➨यह विधि विद्यार्थियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण उत्पन्न करती हैं।
➨इस विधि से छात्रों में आत्मविश्वास, सत्य के प्रति निष्ठा, सूत्र व नियमों की स्थापना करना, समस्या समाधान करना आदि गुणों का विकास होता है।
➨इसके द्वारा विद्यार्थी सक्रिय रहकर ज्ञान ग्रहण करते हैं।
➨इस विधि में पाठ्य वस्तु को याद करने अथवा रटने की आवश्यकता नहीं होती है।
➨यह विधि मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित होती है।
➨इस विधि द्वारा छात्रों की तर्क, विचार एवं निर्णय शक्ति में विकास होता है।
➨इसके द्वारा छात्रों में निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है। जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है।
➨आगमन विधि द्वारा छात्र सदैव नवीन ज्ञान प्राप्त करने के लिए उत्सुक रहता है उसमें खोज के प्रति रुचि उत्पन्न होती है तथा आत्मनिर्भरता आती है।

आगमन विधि के दोष Arrival Method defects

➨अनुभवी व प्रशिक्षित अध्यापकों की कमी के कारण यह विधि सफल नहीं हो पाती है।
➨कई बार इस के निर्णय अशुद्ध भी होते हैं।
➨इस विधि द्वारा पाठ्यक्रम समय पर समाप्त होना संभव नहीं हो पाता है क्योंकि यह विधि अधिक समय लेती है।
➨आगमन विधि सभी प्रकरणों के लिए उपयोगी नहीं होती है।

➨आगमन विधि में समय अधिक लगता है।

 

निगमन विधि Incorporation law

निगमन विधि में छात्र किसे दी गई सिद्धांत के आधार पर कुछ ऐसे उदाहरण देते हैं जिनमें वह सिद्धांत या सामान्यकरण लागू होता है। इस विधि में अध्यापक पहले किसी नियम सिद्धांत या सामान्यीकरण को बताता है और फिर विद्यार्थियों से कहा जाता है कि वह अपनी-अपनी उन समस्याओं को बताएं जिनमें वह नियम लागू होता है। इस विधि द्वारा छात्रों में नियम या सिद्धांत के आधार पर अपने पर्यावरण की विभिन्न समस्याओं को समझने की जागरूकता पैदा की जाती है इस विधि की आवश्यकता है कि छात्र पहले नियम या सिद्धांत को समझें, फिर उसे विज्ञान की विशिष्ट समस्याओं को समझने में लागू करें।
 ➤ अथार्त इस विधि में ‘नियम से उदाहरण की ओर’

निगमन विधि के गुण Properties of incorporation method

➨निगमन विधि जीवन की विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न समस्याओं के समाधान में महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके द्वारा छात्र विभिन्न आवश्यक सूत्र ,नियम हो तथा सिद्धांत सीखते हैं।
➨निगमन विधि द्वारा विद्यार्थी कम समय में अधिक ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं।
➨यह विधि संक्षिप्त भी है और व्यवहारिक भी।
➨निगमन विधि में छात्रों को कम परिश्रम करना पड़ता है।
➨उच्च कक्षाओं के लिए यह शिक्षण विधि उपयुक्त है।
➨यह विधि आगमन विधि की त्रुटियों को दूर करने में सहायक है।

➨निगमन विधि में विद्यार्थियों को कई सूत्र, सिद्धांत एवं नियम याद करने होते हैं, इससे विद्यार्थियों की स्मरण शक्ति का विकास होता है।

निगमन विधि के दोष Defects of incorporation method

➨यह विधि अमनोवैज्ञानिक विधि है क्योंकि यह सूक्ष्म से स्थूल की ओर सिद्धांत पर आधारित है।
➨इस विधि से प्राप्त ज्ञान अस्थाई होता है।
➨निगमन विधि से छात्रों को रखने की आदत पड़ जाती है उनका मानसिक विकास नहीं हो पाता है।
➨इस विधि में अलग-अलग प्रकार के प्रश्नों के लिए अनेक सूत्र याद करने होते हैं जो एक कठिन कार्य है।
➨निगमन विधि मे बालकों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित होने के अवसर नहीं मिलते हैं।
 
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