एक आदर्श अध्यापक के कर्तव्य एवं उत्तरदायित्व | duties and responsibilities of a ideal teacher

अध्यापकों की भूमिका एवं दायित्व [duties and responsibilities of a teacher]

शिक्षा (education) में अध्यापक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शिक्षक का कार्य मात्र कक्षा में शिक्षण कार्य करने पर ही समाप्त नहीं हो जाता, बल्कि छात्रों को उचित निर्देशन प्रदान करना, विद्यार्थियों की भावनाओं को समझना, विद्यालय में सामाजिक वातावरण का निर्माण करना, विभिन्न पाठ्य सहगामी क्रियाओं का संचालन करना आदि भी अध्यापक के महत्वपूर्ण कार्य हैं। अध्यापक के कर्तव्य और उत्तरदायित्व को हम निम्नलिखित बिंदुओं मैं अध्ययन कर सकते हैं-duties and responsibilities of a teacher

duties and responsibilities of a teacher

एक आदर्श अध्यापक के कर्तव्य एवं उत्तरदायित्व | duties and responsibilities of a ideal teacher

1. शिक्षण Teaching-

     शिक्षक का सबसे महत्वपूर्ण कार्य शिक्षण (teaching) का ही होता है। शिक्षक को इमानदारी, मेहनत और लगन के साथ इस कार्य को करना चाहिए। एक अध्यापक यदि अध्यापन कार्य उचित तरीके से नहीं करता तो वह अध्यापक कहलाने के लायक नहीं है। अध्यापक बालकों को औपचारिक शिक्षा के साथ-साथ अनौपचारिक वह निरौपचारिक शिक्षा भी दें। अध्यापक अपने इस दायित्व का निर्वहन तभी कर सकता है तब, उसे अपने विषय का पूर्ण ज्ञान हो, अपने विषय के संबंध में नवीनतम जानकारी हो, तथा उचित शिक्षण विधि के उपयोग करने की कुशलता हो साथ ही उसमें कर्तव्यनिष्ठ होने की भावना भी होनी चाहिए।
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2. कुशल प्रबंधक (Skilled manager) के रूप में-

    विद्यार्थियों को विषय की उचित शिक्षा प्रदान करने हेतु उसे उपलब्ध संसाधनों का कुशल तम प्रबंध करना होता है एक प्रबंधक के रूप में शिक्षक चार मुख्य कार्य करता है जो निम्न है-
1). योजना निर्माण Planning-
किसी भी अच्छे शिक्षक के लिए यह आवश्यक है। कि कक्षा में जाने से पूर्व विषय-वस्तु और अनुदेशन सामग्री को क्रमवार रूप से व्यवस्थित करें  इसके लिए वह निम्न कार्य कर सकता है जैसे-
● संपूर्ण व्यवस्था विश्लेषण
●कार्य विश्लेषण
● प्रविष्ट व्यवहार का वअभिज्ञान
●उद्देश्य को सूत्रबद्ध करना
● छात्रों की जरूरतों की पहचान करना
● परीक्षण सामग्री निर्माण

 

2.) व्यवस्था करना to make arrangements-
शिक्षक विद्यालय का अभिन्न अंग होता है। विद्यालय में समस्त क्रियाओं की व्यवस्था और उनका कुशल संचालन केवल प्रधानाध्यापक का ही कर्तव्य नहीं है,अपितु विद्यालय का अभिन्न अंग होने के कारण विद्यालय के प्रत्येक कार्य समय सारणी बनाना, पाठ्य सहगामी क्रियाओं का आयोजन करना, और संचालन करना आदि में प्रधानाध्यापक का पूर्णतः सहगामी होना एवं उनकी सफलता के साथ पूरा करने का अध्यापक का दायित्व है। इस प्रकार विद्यालय में विभिन्न प्रकार की व्यवस्था बनाए रखने का अध्यापक का महत्व पूर्ण कर्तव्य है।
एक प्रभावशाली पर्यावरण का निर्माण करके वह अपने शिक्षण कौशलों का प्रयोग करता है। जिससे वह एक ध्येय पुष्ठ अधिगम अनुभवों का सृजन कर सकें।

 

3.) नेतृत्व करना Leadership-
शिक्षक के सम्मुख कक्षा का एक सदस्य होने के साथ-साथ छात्रों को एक नेतृत्व प्रदान करने की भी चुनौती होती है।अपने नेतृत्व में वह छात्रों में ‘ ज्ञान पिपासु प्रवृतियों’ का सृजन करता है। छात्रों को प्रोत्साहित करता है। वह उनके मन में उत्पन्न आकंठ इच्छाओं को दिशा देता है। वह छात्रों के समक्ष पहल करके एक उदाहरण प्रस्तुत करता है।शिक्षक छात्रों की सक्रिय भागीदारी बढ़ाने के उपाय करता है। नेतृत्व प्रदान करने के लिए उसी निम्न कार्य करने पड़ते हैं।
●संप्रेषण आव्यूह का सही चयन करना।
● अभिप्रेरणा और पुनर्बलन का सही सम्मिश्रण करना।


4.) नियंत्रण करना Control-
किसी भी शिक्षक को सबसे महत्वपूर्ण भूमिका एक नियंत्रक यानी कि कंट्रोलर के रूप में निभानी पड़ती है। अपने निरीक्षण, प्रेक्षण व जाँच द्वारा वह एक नियंत्रक की भूमिका का निर्वहन करता है। नियंत्रक के तौर पर वह निम्न कार्य करता है-
●शिक्षण व्यवस्था का मूल्यांकन करना
●अधिगम व्यवस्था का प्रेक्षण करना
●शिक्षण व्यवस्था का अवशोधन करना

 

3. एक मनोवैज्ञानिक के रूप में As a psychologist-

     किसी भी विषय के शिक्षक के सम्मुख कक्षा में सबसे महत्वपूर्ण चुनौती यह होती है, कि वह एक कक्षा में सभी छात्र एक समान नहीं होते उनकी मानसिक योग्यता व रुचि अलग-अलग होती है,ऐसा व्यक्तिगत विभिन्नताओं के कारण होता है। इन व्यक्तिगत विभिन्नताओं को पहचानने के लिए शिक्षक को मनोवैज्ञानिक होना बहुत जरूरी है।
छात्र निम्न रूप से अलग-अलग होते हैं-
● ज्ञान के आधार पर
●योग्यता के आधार पर
●बुद्धि के आधार पर क्षमता के आधार पर
●रुचि के आधार पर
●सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के आधार पर
★    सभी छात्रों को उनकी जरुरत के अनुसार ज्ञान देने के लिए एक शिक्षक को मनोवैज्ञानिक के तौर पर कार्य करता पड़ता है। वह बुद्धि परीक्षण, व्यक्तित्व परीक्षण व व्यक्तिगत अध्ययन आदि का उपयोग करके शिक्षण के उद्देश्य को पूरा करता है।
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4. अनुदेशक के रूप में Instructor –

     शिक्षण(teaching) के दौरान कक्षा में शिक्षक-शिक्षार्थी के बीच में परस्पर अंतर्क्रिया करने की प्रक्रिया को अनुदेशन कहा जाता है।यह संपूर्ण शिक्षण प्रक्रिया में काफी महत्वपूर्ण प्रणाली है। एक अनुदेशक की भूमिका के रूप में शिक्षक के निम्नलिखित दायित्व होते हैं-[duties and responsibilities of a teacher]
● विद्यार्थियों के कल्याण में रुचि लेना ।
● अनुदेशन सामग्री के उपयोग में प्रवीणता हासिल करना ।
● उच्च स्तर की अधिक शिक्षण सामग्री का छात्र हित के लिए उपयोग करना ।
● अपनी प्रत्येक छात्र की व्यक्तिगत संपर्क स्थापित करना।
● कक्षा में एक भेदभाव रहित वातावरण का निर्माण करना ।
● पाठ्यवस्तु का संगठन करना ।
● छात्रों की प्रगति की निरंतर जाँच करते रहना ।
● अनुदेशन अधिगम का मूल्यांकन करना और प्रतिपुष्टि करना।

 

5. अनुसंधानकर्ता  के रूप में The Researcher-

    विज्ञान में कितने ज्ञान का सर्जन बड़ी तेजी से हो रहा है इसलिए एक विज्ञान शिक्षक की एक शोधकर्ता के रूप में बहुत बड़ी भूमिका होती है इस भूमिका में उसके कार्य निम्न है-
● अपने अध्ययन और चिंतन के आधार पर वह विषय वस्तु के अधिगम हेतु संभावित उद्दीपन अनुक्रिया हेतु पहल करना एवं उनके प्रभाव का अनुमान लगाना।
● क्रियात्मक शोध में पहल करना ।
●परियोजनाओं पर विचार विमर्श करना।
●आलोचनाओं से विचलित ना होना।
●मूलभूत समस्याओं पर कार्य करना।
●विज्ञान से संबंधित कार्यक्रमों कार्यशालाओं आदि में भाग लेना।
●शोध कार्यों को प्रकाशित करना।

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6. मार्गदर्शक एवं परामर्शदाता के रूप में Guides and counselors –

     एक आदर्श का महत्व पूर्ण उत्तरदायित्व छात्रों को उनकी समस्याओं के समाधान ढूंढने में सहायता करना है। इस तरह से वह एक मार्गदर्शक व परामर्शदाता की भूमिका का निर्वहन करता है।इस भूमिका में वह निम्न प्रकार के कार्य करता है-
●छात्रों के साथ सोहाद्र स्थापित करना।
●उनकी समस्याओं को धैर्यपूर्वक सुनना।
● उनकी समस्या संबंधित सूचनाओं को एकत्रित करना।
●छात्र को उसके अंदर मौजूद क्षमताओं,योग्यताओं की जानकारी देना।
●वैकल्पिक समाधानों की विस्तृत जानकारी प्रदान करना।

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7. समन्वयक (Coordinator) के रूप में-

    अध्यापक को एक सामान्य व्यक्ति के रुप में भी कार्य करना पड़ता है। उसे अन्य शिक्षकों और छात्र,प्रबंधन में छात्रों अभिभावको व विद्यालय के बीच संबंध व्यक्ति कार्य करना पड़ता है। इस कार्य को करने के लिए यह आवश्यक है। कि उसे निम्न- duties and responsibilities of a teacher
● शिक्षा (education discipline) संबंधित अनुशासनों में हो रहे नवाचारों का परिचय हो।
● अपनी प्रगति का ज्ञान हो।
● उसका छात्रों अन्य शिक्षकों एवं अभिभावकों से प्रेम पूर्वक संबंध हो।
● सामुदायिक परंपराओं का ज्ञान हो।
● विषम परिस्थितियों में विचलित ना हो।
● स्थानीय समुदाय से संबंध हो।
● छात्र की जरूरतों की पहचान हो।
उपयुक्त सभी बिंदु एक अच्छे शिक्षक के कर्तव्य व उत्तरदायित्व(duties and responsibilities of a teacher) का निर्वहन करते हैं। duties and responsibilities of a teacher

 

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