ज्ञान क्या है,ज्ञान की परिभाषाएँ और ज्ञान का महत्त्व | Definitions of Knowledge | gyan ki paribhasha

ज्ञान की परिभाषाएँ (Definitions of Knowledge)-

ज्ञान क्या है, दर्शन के क्षेत्र में ज्ञान को भिन्न-भिन्न दार्शनिकों ने भिन्न-भिन्न रूप में परिभाषित किया है।भारतीय आध्यात्मिक दर्शनों के अनुसार ज्ञान वह है जो मनुष्य को उन्नत करता है तथा उसके लिए मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।

ज्ञान की परिभाषाएँ (gyan ki paribhasha/gyan kya hai)

प्लेटो के अनुसार-“विचारो की दैवीय व्यवस्था और आत्मा-परमात्मा के स्वरूप को जानना ही सच्चा ज्ञान है।”

शंकर के अनुसार-“ब्रह्म को सत्य जानना ज्ञान है और वस्तु जगत को सत्य जानना अज्ञान है।”

बोद्ध दर्शन के अनुसार-” ज्ञान वह है जो मनुष्य को सांसारिक दुःखो से छुटकारा दिलाए।”

हॉब्स के अनुसार-“ज्ञान ही शक्ति है।”

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ज्ञान क्या होता है?,

आदर्शवादी दर्शन के अनुसार-” ज्ञान आदर्श का ज्ञान है।”

यथार्थवादी दर्शन के अनुसार-“ज्ञान वस्तु का ज्ञान है।”

सुकरात के अनुसार-“ज्ञान सर्वोच्च सद्गुण है।”

प्रो.रसल के अनुसार-“ज्ञान वह है जो मनुष्य के मन को प्रकाशित करता है।

विलियम जेम्स के अनुसार-“ज्ञान व्यवहारिक प्राप्ति और सफलता का दूसरा नाम है।”

प्रो.जोड के अनुसार-“ज्ञान हमारी उपस्थिति,जानकारी और अनुभवों के भंडार में वर्द्धि का नाम है।”

स्पेन्सर के अनुसार-“केवल वस्तु जगत का ज्ञान ही सत्य ज्ञान है,आत्मा परमात्मा संबंधी ज्ञान कोरी कल्पना है।”

वेबस्टर के अनुसार-“ज्ञान वह है जो ज्ञात है और जो ज्ञात होने के बाद संचित रहता है या वह जानकारी है जो वास्तविक अनुभव द्वारा प्राप्त होती है।”

डीवी के अनुसार-“केवल वही ज्ञान ही वास्तविक है जो हमारी प्रकृति में संगठित हो गया है,जिससे हम पर्यावरण को अपनी आवश्यकताओं के अनुकूल बनाने में समर्थ हो सके और अपने आदर्शो तथा इच्छाओ को उस स्थिति के अनुकूल बना ले जिसमें की हम रहते है।”


उपर्युक्त
gyan ki paribhasha से ज्ञान के सम्बन्ध में निम्न बाते उजागर होती है-
1.ज्ञान वह है जो सत्य है।
2.ज्ञान में ज्ञाता का विश्वास होता है।
3.ज्ञाता के पास उस ज्ञान के सत्य होने का प्रमाण होता है।
ज्ञान अज्ञानता इर अंधविश्वोसो को दूर करता है।ज्ञान चरित्र का निर्माण करता है,हमे अनुशासित करता है।उपर्युक्त परिभासाओ से यह भी स्पष्ट है कि दार्शनिक जहाँ तक अनुभूति कर सके उन्होंने उसी को ज्ञान माना है।

ज्ञान का महत्त्व (Importance of Knowledge)-

  मानव जीवन में ज्ञान का बहुत अधिक महत्त्व है।मानव जीवन के लिये उसकी रीढ़ की हड्डी की तरह कार्य करता है इसलिए ज्ञान का महत्व आज और ज्यादा बढ़ गया है।
ज्ञान का महत्त्व निम्न है-
1.ज्ञान को मनुष्य की तीसरी आँख कहा गया है।
2.ज्ञान को मस्तिष्क की खुराक खा जाता है।
3.ज्ञान भौतिक जगत और आध्यत्मिक जगत को समझने में मदद करता है।
4.ज्ञान से ही मानसिक,बौद्धिक, स्मृति,निरीक्षण,कल्पना व तर्क आदि शक्तियों का विकास होता है।
5.ज्ञान समाज सुधारने में सहायता करता है जैसे-अन्धविश्वास,रूढ़िवादिता को दूर करता है।
6.ज्ञान शिक्षा प्राप्ति हेतु साधन का काम करता है।
7.नैतिकता ज्ञान से ही प्राप्त की जा सकती है।
8.ज्ञान अपने आप को जानने का सशक्त साधन है।
9.ज्ञान ‘सद्गुण’ है व अज्ञान ‘पाप’ है।
10.ज्ञान हो गुण है ज्ञान मानव को अन्धकार से प्रकाश की और ले जाता है।
11.ज्ञान मानव जीवन का सार है।विश्व का नेत्र है,ज्ञान से बढ़कर कोई सुख नही।
12.ज्ञान का प्रकाश सूर्य के समान है ज्ञानी मनुष्य ही अपना और दूसरे का कल्याण करने में सक्षम होता है।
13.ज्ञान विश्व के रहस्य को खोजता है।
14.ज्ञान से चरित्र निर्माण व बोध होता है।
15.ज्ञान धन के समान है जितना प्राप्त होता है उससे पाने की इच्छा रखते है।
16.ज्ञान सत्य तक पहुचने का साधन है।
17.ज्ञान शक्ति है।

18.ज्ञान की सीमाएं निशिचत नही है।
19.ज्ञान समय का परिणाम है।
20.ज्ञान प्रेम तथा मानव स्वतंत्रता के सिद्धांतों का ही आधार है।
21.ज्ञान क्रमबद्ध चलता है आकस्मिक नही आता है।
22.तथ्य ,मूल्य,ज्ञान के आधार के रूप में कार्य करते है।
23.ज्ञान चेतना है जिससे मनुष्य का मनोबल व आत्मविश्वास बढ़ता है। ज्ञान क्या है

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