बाल मनोविज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा व सम्प्रत्यय | meaning and concept of Child Psychology

बाल मनोविज्ञान का अर्थ एवं सम्प्रत्यय

बाल मनोविज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा क्या है (Meaning of Child Psychology)-

बालमनोविज्ञान, मनोविज्ञान विषय में अपना महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। इसमें गर्भस्थ शिशु की  अवस्था से 12 वर्ष की आयु तक के बालक के विकास का, भाषा, मानसिक शक्तियों, बुद्धि, सीखना, व्यक्तित्व आदि सभी विषयों का अध्ययन किया जाता है। उसके वंशानुक्रम का उसकी वृद्धि में क्या योगदान है ? वह कौन-सी प्रेरणाएँ हैं जिन्हें वह जन्म से लेकर आया है ? बालक की बुद्धि किस प्रकार विकसित होती है ? इन सभी बातों का उत्तर बाल मनोविज्ञान विषय देता है। बालक के विकास के साथ सम्वेदना, प्रत्यक्ष, स्मृति, कल्पना आदि मानसिक क्रियाओं की उत्पत्ति और विकास का अध्ययन बाल मनोविज्ञान में किया जाता है।  बाल मनोविज्ञान का अर्थ एवं परिभाषाशाब्दिक दृष्टि से विचार करे तो हम बाल मनोविज्ञान को ‘बालक के मन का अध्ययन करने वाला मनोविज्ञान’ कह सकते है, परन्तु बालक की गतिविधियों का भली-भाँति निरीक्षण करने पर ज्ञात होता है कि बालक का मानसिक विकास जितना महत्वपूर्ण है उतना ही शारीरिक विकास भी महत्वपूर्ण है। बाल-मनोविज्ञान यदि केवल बालक के मानसिक विकास का ही अध्ययन प्रस्तुत करेगा तो यह बड़ा सीमित दृष्टिकोण होगा। हम प्रौढ़ व्यक्ति के मन का अध्ययन भी ठीक प्रकार से नहीं कर सकते, फिर बाल-मन का अध्ययन करना तो और भी कठिन कार्य होगा। बालकों की शारीरिक चेष्टाएँ, शारीरिक क्रियाएँ, शारीरिक गतिविधियाँ-इन सब के द्वारा बाल-मन का अध्ययन बड़ी सरलता से किया जा सकता है। अतएव हम कह सकते हैं कि ‘बाल-मनोविज्ञान बालकों के शारीरिक तथा मानसिक विकास का अध्ययन करता है।” बाल मनोविज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा

बाल मनोविज्ञान की परिभाषाएँ (Definitions of Child Psychology)-

क्रो और क्रो के अनुसार, “बाल-मनोविज्ञान वह वैज्ञानिक अध्ययन है जो व्यक्ति के विकास का अध्ययन गर्भकाल के प्रारम्भ से किशोरावस्था की प्रारम्भिक अवस्था तक करता है।”
जेम्स ड्रेवर के अनुसार, “बाल-मनोविज्ञान की वह शाखा है जिसमें जन्म से परिपक्वावस्था तक विकसित हो रहे मानव का अध्ययन किया जाता है।”
आइजनेक के अनुसार, “बाल-मनोविज्ञान का सम्बन्ध बालक में मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के विकास से है। इसमें गर्भकालीन अवस्था, जन्म, शैशवावस्था, बाल्यावस्था, किशोरावस्था और परिपक्वावस्था तक के बालक की मनोवैज्ञानिक विकास-प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है बाल मनोविज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा

उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर कहा जा सकता है कि, “बाल-मनोविज्ञान गर्भकालीन अवस्था से परिपक्वावस्था तक के व्यक्ति की मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं (चिन्तन, समस्या समाधान, सृजनात्मक नैतिक तर्क तथा व्यवहार अभिवृत्तियाँ, मत और रुचियाँ आदि) के विकास का वैज्ञानिक अध्ययन है।”
 

बाल मनोविज्ञान द्वारा बालक में अपेक्षित परिवर्तन-
शिक्षक के लिए बाल मनोविज्ञान का ज्ञान बहुत आवश्यक है। यदि शिक्षक अपने इस ज्ञान का विद्यार्थी के जीवन में प्रयोग करे, तो महत्वपूर्ण परिवर्तन कर सकता है। बाल मनोविज्ञान के ज्ञान से शिक्षक को बालक के विकास की प्रक्रिया एवं विकास के सिद्धांत का ज्ञान होगा। इस ज्ञान का पूरा उपयोग वह बालकों को सही दिशा देने में कर सकता है। बाल मनोविज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा

मनोविज्ञान ने यह सिद्ध कर दिया है कि बालक की प्रारम्भिक आयु सीखने की दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण है। यही कारण है कि उच्च कक्षाओं की तुलना में छोटी कक्षाओं का अध्ययन एवं विकास की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। बाल मनोविज्ञान के ज्ञान से शिक्षक विद्यालय का वातावरण स्वास्थ्यप्रद बनाएगा क्योंकि शिक्षक को स्वास्थ्य के बारे में अच्छा ज्ञान होगा। विद्यालय केवल पढ़ने का स्थान ही नहीं है, बल्कि विद्यालय में बालकों का सर्वांगीण विकास भी किया जाता है। इसलिए भी वह सभी दृष्टि से स्वस्थ्य वातावरण देने का प्रयास करेगा।
इसके साथ ही बालकों को आत्माभिव्यक्ति और कार्यों का पूरा अवसर देगा। इससे विद्यार्थियों में ठीक प्रकार से विकास करने का अवसर मिल सकेगा। शिक्षक विद्यालय का वातावरण बालकों की शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक एवं अन्य आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर तैयार करेंगे। अध्यापक को ऐसा कोई दुर्व्यवहार नहीं करना चाहिए, जिससे कि बालक के मन में हीन ग्रन्थियाँ उत्पन्न हों। बालक के मन की ग्रंथियों से उनके
व्यक्तित्व में असमायोजन हो जाता है। बाल मनोविज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा
      बाल मनोविज्ञान के ज्ञान से शिक्षक, किशोरों की समायोजन की समस्या दूर कर सकेंगे। किशोरावस्था में बालक-बालिकाओं की अनेक समस्याएँ होती हैं लेकिन बाल मनोविज्ञान का ज्ञान शिक्षक उनको सही दिशा दे सकता है। यदि इस समय उनको सही दिशा नहीं दी गई, तो वे अपराधी एवं गन्दी आदतों से ग्रस्त बालक बन जाएंगे।

      बाल मनोविज्ञान के ज्ञान के कारण शिक्षक विद्यालय को पूरी तरह बाल-केन्द्रित बनाएगा। इसमें बालक की रुचि, योगदान, क्षमता, अभिवृत्ति आदि को ध्यान में रखकरशिक्षा की व्यवस्था करेगा। अच्छे अध्यापक के लिए बालकों का स्वभाव एवं उनके मनोविज्ञानका ज्ञान उसी तरह जरूरी है जिस तरह अच्छे स्वास्थ्य के लिए औषधि एवं यंत्रों के साथ-साथ रोगी के स्वभाव का ज्ञान जरूरी है। बाल मनोविज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा
विद्यालय में चलने वाली विभिन्न पाठ्यसहगामी क्रियाओं में भी वह परिवर्तन कर सकेंगे। पाठ्यसहगामी क्रियाएँ भी बालकों के लिए उतनी ही आवश्यक हैं जितनी अध्ययनकी प्रक्रियाएँ। पाठ्यसहगामी क्रियाओं के माध्यम से वह सही अनुशासन रख सकेगा। बाल मनोविज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा
विद्यालय का वातावरण स्वस्थ बना सकेगा। ऐसे अनेक उदाहरण देखने को मिलते हैं, जिनमें मनोविज्ञान के ज्ञान से अध्यापकों ने बालकों के जीवन में काफी परिवर्तन कर दिया।
आज शारीरिक दण्ड या भय से बालक में सुधार नहीं किया जा सकता है । बाल मनोविज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा

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