एक शिक्षक को शिक्षा मनोविज्ञान अध्ययन की आवश्यकता क्यों होती हैं -Why is the study of educational psychology needed for a teacher

शिक्षक को शिक्षा मनोविज्ञान अध्ययन की आवश्यकता

अध्यापक के लिए शिक्षा मनोविज्ञान का ज्ञान बहुत आवश्यक है। इसके अध्ययन की सहायता से शिक्षक का कार्य अधिक सरलता, रुचि व क्षमता से हो सकता है। अध्ययन- अध्यापन की आवश्यकता, परिस्थिति, पाठ्यक्रम, अध्ययन के तरीके, मूल्यांकन आदि सभी में शिक्षा मनोविज्ञान का अध्ययन शिक्षक के लिए लाभप्रद होता है। प्रमुख रूप से अध्यापक के लिए शिक्षा मनोविज्ञान इस प्रकार सहायता करती है- शिक्षा मनोविज्ञान की आवश्यकता शिक्षा

मनोविज्ञान की आवश्यकता

1. बालकों की आवश्यकताओं का ज्ञान-शिक्षा मनोविज्ञान से बालकों की आवश्यकताओं का पता चल जाता है। साथ ही उनकी रुचि, योग्यता, क्षमता, आवश्यकता, अभिरुचि आदि का भी पता चल जाता है। इन सभी बालकों की विभिन्नताओं को ध्यान में रखकर ही शिक्षा व्यवस्था व प्रक्रिया रखने का कार्य शिक्षक कर सकेगा।


2. अध्ययन पद्धति शिक्षा मनोविज्ञान ने अध्ययन पद्धति में बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। अध्यापक अपने विद्यार्थियों की आवश्यकताओं, रुचि आदि को ध्यान अध्ययन विधि अपनाता है। शिक्षक को अनेक मनोवैज्ञानिक शिक्षक विधियाँ-शिक्षा मनोविज्ञान ने ही दी है।

3. पाठ्यक्रम अध्यापक पाठ्यक्रम का निर्माण करते समय शिक्षा मनोविज्ञान से बहुत प्रभावित होने लगा है। अध्यापक पाठ्यक्रम निर्माण में छात्रों की रुचि, योग्यता, विकास आदि का ध्यान रखता है। अब यह माना जाने लगा है कि पाठ्यक्रम बालकों के लिए है, न कि पाठ्यक्रम के लिए बालक।

4. पाठ्य सहगामी क्रियाएँ शिक्षा मनोविज्ञान से प्रभावित होकर ही अध्यापक यह मानने लगे हैं कि पाठ्यक्रम सहभागी क्रियाएँ भी अध्ययन की तरह ही महत्त्वपूर्ण हैं। इन क्रियाओं को बालकों के सर्वांगीण विकास में आवश्यक माना जाने लगा है।

5. समय-सारिणी अध्यापक के लिए समय सारिणी बनाने में भी शिक्षा मनोविज्ञान बहुत उपयोगी है। समय-सारिणी में कठिन व सरल विषयों का समय निश्चय करने और थकान, विश्राम व अध्ययन को ध्यान में रखकर समय सारिणी बनाने की दृष्टि से भी शिक्षा मनोविज्ञान अध्यापक के लिए बहुत उपयोगी है। शिक्षा मनोविज्ञान की आवश्यकता


6. शैक्षिक समस्याओं का ज्ञान अध्यापक को शिक्षा मनोविज्ञान ने विभिन्न शैक्षिक समस्याओं पर महत्त्वपूर्ण ज्ञान दिया है। जैसे विद्यार्थी अनुशासनहीनता, छात्र असन्तोष, पिछड़ापन, बालापराध आदि। इन समस्याओं के कारण व निराकरण के उपाय आदि भी शिक्षा मनोविज्ञान ने ही शिक्षक को दिये हैं।

7. अनुशासन—प्राचीनकाल दण्ड व्यवस्था के विचार को बदलने का कार्य शिक्षा मनोविज्ञान ने ही किया है। अध्यापक अपने विद्यार्थियों की अनुशासनहीनता को अब दण्ड, भय या डण्डे की सहायता से दूर नहीं करता बल्कि अनुशासनहीनता के कारणों की गहराई में जाकर उसके स्थायी समाधान का प्रयास करता है। अध्याप प्रजातांत्रिक अनुशासन के दृष्टिकोण के विकास में शिक्षा मनोविज्ञान का ही योगदान है। शिक्षा मनोविज्ञान की आवश्यकता

8. शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति में शिक्षक व छात्रों को शिक्षा मनोविज्ञान का काफी योगदान है। जैसा कि स्किनर ने लिखा है, “शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षक को ज्ञान प्रदान करता है एवं शिक्षक उस ज्ञान के आधार पर शैक्षिक लक्ष्यों को प्राप्त करता है।”

9. मापन एवं मूल्यांकन अध्यापक द्वारा अपने विद्यार्थियों का मापन एवं मूल्यांकन करने में भी मनोविज्ञान का सही मूल्यांकन का काफी योगदान रहा है। विद्यार्थियों की योग्यताओं का सही मूल्यांकन और उसी के आधार पर सही निर्देशन का कार्य शिक्षक मनोविज्ञान की सहायता से करने लगा है। शिक्षा मनोविज्ञान की आवश्यकता

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