मूल्यांकन का अर्थ-meaning of evaluation in hindi
मूल्यांकन एक साधन है। जिसके आधार पर अध्यापक अपने प्रयासों की सफलता एवं असफलता का बोध करता है। इतना ही नहीं मूल्यांकन के दवारा वह अपनी शैक्षिक प्रक्रिया शिक्षण विधि एवं पाठ्यवस्तु के स्तर में सुधार लाने का प्रयत्न भी करता रहता है।
मूल्यांकन व्यवहार परिवर्तन के परमाणु को एकत्रित करने की प्रणाली है जिसके द्वारा उन परिवर्तनों की दिशाओं और सीमाओं का निर्णय किया जाता ह। वह शिक्षा जगत में शिक्षा उपलब्धियों को जानने का अपेक्षाकृत नवीन शब्द है। और प्रचलित परीक्षा प्रणाली की अपेक्षा अधिक व्यापक संदर्भ में प्रयुक्त होता है।
मूल्यांकन क्या है What is the evaluation-
➱मूल्यांकन एक नई अवधारणा है।
➱मूल्यांकन एक प्राविधिक शब्द है।
➱मूल्यांकन छात्र की रुचियां,अभिरुचि,अभिवर्ती, मानसिक योग्यता आदि व्यक्तित्व के संपूर्ण पक्षों की जांच करता है।
➱मूल्यांकन में स्थिति का वर्णन किस प्रकार से किया जाता है की तुलनात्मक अध्ययन संभव हो सके।
➱मूल्यांकन के लिए अधिक शक्ति,समय व धन की आवश्यकता होती है।
➱मुल्यांकन द्वारा छात्रों की स्थिति का ज्ञान कर उसके संबंध में निश्चित धारणा बनाई जा सकती है।
➱मूल्यांकन परिणामों के आधार पर छात्र के संबंध में पूर्ण सार्थकता के साथ भविष्यवाणी की जा सकती है।
➱मूल्यांकन गुणात्मक तथा परिणात्मक दोनों प्रकार के निर्णय किए जाते हैं तथा यह संख्यात्मक तथा वर्णनात्मक होता है।
➱मुल्यांकन संपूर्ण शिक्षण सिस्टम का एक अंग है।
➱मूल्यांकन ना केवल बालकों की नियुक्तियों को आता है बल्कि उनके आधार पर शिक्षण विधि पाठ्यवस्तु आदि को फीडबैक प्रदान करता है तथा उनकी उपयोगिता व उपायदेता के उद्देश्यों के संदर्भ में जांच कर उसमें सुधार भी करता है।
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मूल्यांकन की परिभाषाएं Assessment Definitions-
क्लीवेंन ओर हन्ना के अनुसार “विद्यालय द्वारा हुए बालक के व्यवहार परिवर्तन के विषय में साक्षियों के संकलन तथा उनकी व्याख्या करने की प्रक्रिया ही मूल्यांकन है।”
क्लार्क और स्टार के अनुसार” मुल्यांकन वह निर्णय है जिसको किसी के विषय में प्राप्त सूचनाओं के आधार पर दिया जाता है।”
कोठारी आयोग के अनुसार” मुल्यांकन एक सतत प्रक्रिया है, शिक्षा की संपूर्ण प्रणाली का एक आवश्यक अंग है। एवं शिक्षा के उद्देश्यों के साथ पूर्ण रुप से संबंधित है। छात्र में पढ़ने की आदत और अध्यापक के पढ़ाने की विधि पर इसका बहुत प्रभाव होता है अतः इसमें केवल शिक्षात्मक उपलब्धि को जांचने में ही सहायता नहीं मिलती, अपितु उसके सुधार में भी सहायता मिलती है। वंचित दशाओं में छात्रों के विकास के संबंध में प्रमाण एकत्रित करना मूल्यांकन के साधन है।”
मुल्यांकन किसी भी शिक्षा प्रणाली का एक अभिन्न अंग है मूल्यांकन के गुणात्मक निर्णय करने की प्रक्रिया है एक अच्छे मूल्यांकन में निम्न गुणों का होना बहुत ही आवश्यक है–
1. विश्वसनीयता Reliability-
जिस समय एक परीक्षण किसी छात्र की योग्यताओं का मापन विभिन्न समय में करने पर सम्मान परिणाम दें तो वह परीक्षण विश्वसनीय कहलाता है। इसलिए तू परीक्षण में न्यादर्श की पर्याप्तता एवं अंगदान में वस्तुनिष्ठता का होना आवश्यक है। अतः जहां प्रश्नों की संख्या प्राप्त हो एवं किसी के भी अंक देने पर अंक सम्मान आए। वह परीक्षण विश्वसनीय परीक्षण कहलाता है।
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2. वैधता Validity-
एक परीक्षण वेद जब माना जाता है। जबकि वह जिसे गुणों को मापने के लिए निर्मित किया जाए उसी का मापन करें, इस गुण के लिए परीक्षण की विश्वसनीयता के साथ उद्देश्य भी जुड़ जाता है। अतः हम कह सकते हैं कि
3. वस्तुनिष्ठता Objectivity-
जिस परीक्षण पर परीक्षक का व्यक्तिगत प्रभाव नहीं पड़ता है। वह परीक्षण वस्तुनिष्ठ कहलाता है इस प्रकार वस्तुनिष्ठता का गुण परीक्षण को दो प्रकार से प्रभावित करता है । एक तो अंक देने व अंको की व्याख्या करने में परीक्षक की व्यक्तिगत रुचि तथा अरुचि के रूप में और दूसरा प्रश्न उनके अर्थ के विषय में दो परीक्षकों में अभिनेता के रूप में। जिसे परीक्षण में उपरोक्त दोनों दृष्टिकोणों को ध्यान में रखा जाता है। वह परीक्षण वस्तुनिष्ट कहलाता है।
4 व्यापकता Generality-
मूल्यांकन Evaluation की विशेषता में मूल्यांकन विभिन्न पक्षों का मापन करने में समर्थ हो जाता है । जिसके मापन हेतु उसको निर्मित किया गया है,इसके लिए परीक्षण में प्रश्नों की संख्या अधिक होनी चाहिए,अर्थात मुल्यांकन पूरे पाठ्यक्रम को स्पर्श करता है।
5. विभेदीकरण Differentiation-
एक अच्छी मूल्यांकन में विविधीकरण का गुण तभी आएगा जब उसमें सभी प्रकार के छात्रों के स्त्रोत के अनुकूल प्रसन्न होंगे अथार्त मंदबुद्धि सामान्य एवं प्रतिभाशाली बुद्धि वाले सभी छात्रों के लिए प्रश्नों का परीक्षा में समावेश हो। meaning of evaluation in hindi
6. उपयोगिता Utility-
वही परीक्षा उपयोगी कही जा सकती है जिस में इस प्रकार के प्रश्नों का समावेश हो कि जिन्हें छात्र समझ सके आसानी से उत्तर दे सके अथार्थ जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए परीक्षा ली जा रही है,उसकी पूर्ति हो जाए और उसके आधार पर उन्हें उचित निर्देशन दिया जा सके।
7. व्यवहारिकता Practicality-
मूल्यांकन के व्यवहारिक होने का अर्थ है कि उसमें निम्न तीन गुण होने चाहिए-
1. निर्माण में आसानी
2. परीक्षा लेने में आसानी
3. अंक देने में आसानी
मूल्यांकन के तत्व Assessment Elements-
★ शैक्षिक उपलब्धि एक अस्तित्व होती है और इसका स्वरूप बहुआयामी होता है।
★ प्रत्येक वस्तु मापनीय राशि में होती है।
★ मापन और मूल्यांकन निर्णय को उपयोग मूल्यांकन कहा जा सकता है ।
★ प्रत्येक वस्तु का मूल्यांकन किया जा सकता है एवं मूल्यांकन में उसके अपेक्षित व्यवहार लाने का प्रयास किया जा सकता है ।
मूल्यांकन के साधन Assessment Tools-
◆ मौखिक परीक्षा-में छात्रों से छोटे छोटे परशन व्यक्तिगत रुप से पूछे जाते हैं तथा इसका आधार बच्चे होते हैं।
◆ लिखित परीक्षा- यह परीक्षा का सर्वाधिक प्रचलित रूप है इस में छात्रों को परीक्षा निर्धारित कॉपी में लिख कर देनी होती है इसमें लगभग सभी प्रकार के क्वेश्चन पूछे जाते हैं।
◆ प्रायोगिक परीक्षा- इस परीक्षा का उपयोग सबसे अधिक विज्ञान में किया जाता है तथा साथ ही भूगोल व गणित विषय में भी किया जा सकता है। परीक्षा छात्रों के कौशल का मापन करती है तथा बालक इसमें करके सीखते हैं।
◆ साक्षात्कार- यह भी एक मौखिक परीक्षा का ही रूप है इसमें बालकों की रुचि, व्यक्तित्व आदि का परीक्षण किया जाता है ।
◆ प्रश्नावली- इसमें कुछ विशेष प्रश्नों को छात्रों से उनकी रुचि, ज्ञान आदि का पता लगाने के लिए क्रमबद्ध तरीके से पूछा जाता है।
◆ निरीक्षण- इस में बालकों का निरीक्षण किया जाता है जिसमें उसकी कार्य करने का तरीका संवेगात्मक स्थिरता आदि का पता लगाया जाता है।
◆ निर्धारित परीक्षा- इसका उद्देश्य बालकों की कमजोरियों का पता लगाकर उनका निदान करना होता है।
◆ रिकॉर्ड-किस प्रकार के साधन में डायरी,पूर्व प्रगति पत्र,आलेख पत्र, बालकों की डायरी अधिसूचनाओं के स्रोत होते हैं।
मूल्यांकन की आवश्यकता Evaluation requirement-
1.विज्ञान के क्षेत्र में छात्रों की पूर्ण सफलता के आधार पर वर्गीकरण करने के लिए मूल्यांकन आवश्यक है।
2. शिक्षण के उद्देश्य को स्पष्ट करता है।
3.मूल्यांकन तथा मन को अनुशासित करने में सहायता देता है।
4. मूल्यांकन में शिक्षक को मार्गदर्शन मिलता है ।
5.मूल्यांकन छात्रों को उतेजना प्रदान कर पढ़ने के लिए प्रेरणा देता है।
6. परीक्षा में शिक्षण विधियों की कार्यसाधकता तथा निर्धारण एवं पाठ्यक्रम के चयन एवं संगठन में उपयोगी है।
7.छात्रों की कठिनाइयों,समस्याओं तथा कमजोरियों का मूल्यांकन खोजकर उनके हल की और शिक्षक का ध्यान आकर्षित करता है। meaning of evaluation in hindi
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