adhigam ko prabhavit karne wale karak
सीखने को प्रभावित करने वाले कारक Factors Affecting Learning
अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक बहुत से प्रकार के होते हैं जो निम्न है-
1. बुद्धि Intelligence-
छात्र के अधिगम को प्रभावित करने वाले कारकों में से एक मुख्य कारक बुद्धि है। तीव्र बुद्धि वाला बालक, मंदबुद्धि बालक की तुलना में किसी कार्य को जल्दी सीख जाता है। बुद्धि एवं शैक्षिक लब्धि के मध्य उच्च स्तर का सकारात्मक से संबंध पाया जाता है।
2. स्वास्थ्य एवं उम्र Health and age-
स्वार्ज ने बताया कि सामान्य स्वास्थ्य वाले विद्यार्थी रूखी विद्यार्थी की तुलना में शीघ्रता से सीखते हैं।
जबकि गिलफोर्ड ने अपने शोध अध्ययन द्वारा यह बताया कि शैशवावस्था से बाल्यावस्था एवं बाल्यावस्था से किशोरावस्था तक सीखने की गति में क्रम से तेजी आती जाती है।
3. अभिक्षमता Autonomy-
अभिछमता एक जन्मजात प्रतिभा होती है जिसे अवसरों एवं प्रशिक्षण द्वारा विकसित किया जा सकता है।
व्यक्तियों में अलग-अलग प्रकार की अभिक्षमता ही होती है जैसे- कलात्मक, यांत्रिक, संगीतात्मक, दार्शनिक, वैज्ञानिक, आदि।
जिस विद्यार्थी में जो अभिक्षमता जितनी तीव्रता के साथ मौजूद होगी वह उस प्रकार के अधिगम को उतनी ही तीव्र गति से सीख सकेगा।
4. सीखने की तत्परता Readiness to learn –
थार्नडाइक नहीं बताया कि यदि हम हमें किसी कार्य को सीखने की तत्परता है तब हम उसे शीघ्र सीख लेते हैं। इसके विपरीत यदि हमें जोर देकर कोई कार्य सिखाया जाता है तब हम उसे नहीं सीख पाते हैं।
तत्परता में निहित उन सभी विशेषताओं का योग शामिल होता है जो सीखने को आगे बढ़ाती है अथवा पीछे धकेलती है।
adhigam ko prabhavit karne wale karak
5. वातावरण Environment-
अधिगम और वातावरण दोनों का निकट संबंध है। बालक का परिवार, समुदाय, कक्षा तथा विद्यालय सभी अधिगम प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं। यदि विद्यालय, कक्षा तथा परिवार का वातावरण शांत, स्नेहपूर्ण तथा रुचिकर होता है, तो बालक शीघ्र ही सीख लेता है। इसके विपरीत यदि परिवार कक्षा तथा विद्यालय का वातावरण की दूषित होता है, बालक को विद्यालय में खेलने कूदने की समुचित व्यवस्था नहीं है, तो बालक की सीखने में बाधा उत्पन्न होती है।
कक्षा में बैठने की समुचित व्यवस्था, प्रकाश एवं वायु का भी सीखने पर प्रभाव पड़ता है। अधिगम की प्रक्रिया के लिए सामाजिक संवेगात्मक स्तर के आधार पर जाती, प्रजाति,संस्कृति आदि प्रवेश का निर्माण करते हैं।
6. अभिवृत्ति अथवा प्रवृत्ति attitude or set-
बौद्धिक स्तर के पश्चात सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारक है अधिगम की अभिवृत्ति जिसके द्वारा वह अधिगम कार्य को सीखता है।
सक्रिय एवं आक्रामक अभिवृत्ति होने पर विद्यार्थी तीव्र गति से सीखता है, जबकि निष्क्रिय एवं देववंशी सीखने पर सीखने की गति अत्यंत बंद होती है।
7. परिपक्वता maturity-
परिपक्वता सीखने में अहम भूमिका प्रदान करती है, क्योंकि परिपक्व अदालत में जिज्ञासा प्रबल होती है और अधिगम में जिज्ञासा का अति महत्वपूर्ण स्थान है तथा अभ्यास द्वारा उसका विकास होता है। यदि परिपक्वता से पूर्व सीखना शुरु कर दिया जाए तो समय और शक्ति दोनों ही व्यर्थ जाती है। अतः मां-बाप को यह ध्यान देना चाहिए। उदाहरण-आप अध्यन कर चुके हैं कि एक 8-10 वर्ष का बालक साइकिल चलाना सहज ही सीख सकता है, किंतु भारी वाहन नहीं सीख सकता। साइकिल चलाना सीखने की स्थिति में वह शारीरिक और मानसिक दृष्टि से परिपक्व है किंतु भारी वाहन चलाना सीखने की स्थिति में वह दोनों दृष्टि से अपरिपक्व है। इस प्रकार परिपक्वता और अधिगम का घनिष्ठ रूप से पारस्परिक संबंध है बालकों को सिखाई जाने वाली क्रियाएं, उनकी आयु,स्तर तथा क्षमता के अनुकूल होनी चाहिए।
8. सीखने की विधि method of learning-
सीखने के लिए अधिगमक ने किस विधि का उपयोग किया है इस पर सीखना निर्भर करता है। सीखने की अनेक विधियां हैं जैसे संपूर्ण विषय वस्तु एक बार में सीखना, संपूर्ण विषय वस्तु को अंशों में विभाजित कर सीखना, विषय वस्तु को रखकर सीखना अथवा समझकर सीखना।
शोध अध्यन बताते हैं कि यदि विद्यार्थी रखने के स्थान पर समझ कर सीखता है तब वह जल्दी सीखता है।
9. शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य एवं थकान health and Fatique-
समस्त व्यक्ति कि ज्ञानेंद्रियां तथा उसकी बुद्धि ठीक तरह कार्य करती है, इसके विपरीत यदि व्यक्ति शारीरिक तथा मानसिक दृष्टि से अस्वस्थ है, तो वह सीखने के प्रति जागरुक नहीं होता है। क्योंकि ज्ञानेंद्रिय तथा बुद्धि सीखने की प्रक्रिया में योगदान देती है। विद्यालयों में विश्राम बेला में पोषाहार देना, व्यायाम तथा खेलकूद में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना तथा विशेष परिवर्तन करना आदि उपायों से छात्रों की थकान दूर की जा सकती है। थकान दूर होने से बालक पुनः स्वस्थ अनुभव करता है और पुन: कार्य करने हेतु है शारीरिक तथा मानसिक दृष्टि से तैयार हो जाता है।
10. वंशानुक्रम heridity-
बालकों में निहित अनेक गुण एवं क्षमताएं, उनके वंशानुक्रम की देन होती है। बालको की अधिगम पर इन वंशानुक्रम की विशेषताओं का अध्ययन प्रभाव पड़ता है अथार्थ वंशानुक्रम की विशेषताएं बालक के अधिगम को प्रभावित करती है।
11. पाठ्य सहगामी क्रियाएं Co-curricular activities-
शिक्षा मनोविज्ञान के विकास के कारण पाठ्यक्रम में अनेक महत्वपूर्ण सहगामी क्रियाओं को स्थान दिया जाने लगा है। वाद विवाद प्रतियोगिता,निबंध, लेख,कहानी प्रतियोगिता,अंताक्षरी,बालचर विद्या, भ्रमण, छात्र संघ, खेलकूद,अभिनय,नाटक, संगीत तथा इसी प्रकार की अन्य क्रियाओं को पाठ्यक्रम में स्थान देने के कारण बालकों के सर्वांगीण विकास में बहुत सहयोग मिला है।
12. अध्यापक एवं अभिभावक की भूमिका Role of teacher and parents-
अधिगम उस समय तक प्रभावशाली ढंग से काम नहीं कर सकता जब तक की अध्यापक एवं अभिभावक अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन नहीं करते हैं। इस क्षेत्र में अनेक महत्वपूर्ण अनुसंधान हो रहे हैं। उन्हें चाहिए कि शिक के नवीनतम अन्वेषणों के संपर्क में रहें और शिक्षण की नवीनतम विधियों का प्रयोग करें। ऐसी स्थिति में उनका प्रभाव अच्छा होगा। वह बालक में ज्ञान तथा क्रिया का अधिगम कराने के लिए उचित वातावरण को तैयार करते हैं।
अधिगम को प्रभावित करने वाले उपयुक्त सभी कारको से स्पष्ट है की अधिगम को प्रभावित करने में कुछ कारक विद्यार्थियों से तथा कुछ शिक्षक से संबंधित हैं। स्पष्टत: शिक्षक प्रक्रिया में शिक्षक व छात्र के मध्य अंतर क्रिया चलती रहती है।
सीखने को प्रभावित करने वाले कारक मुख्य बिंदु points affecting learning-
✓विषय सामग्री का स्वरूप-सरल से कठिन की ओर
✓बालकों का शारीरिक एवं मानसिक विकास
✓परिपक्वता
✓सीखने का समय व थकान
✓सीखने की इच्छा
✓प्रेरणा
✓अध्यापक व सीखने की प्रक्रिया -शिक्षक का स्थान पथ प्रदर्शक के रुप में है।
✓सीखने का उचित वातावरण
✓सीखने की विधि -खेल करके सीखना, पूर्ण सामूहिक व सहसंबंध।
✓संपूर्ण परिस्थिति -परिणाम एवं प्रगति का ज्ञान
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