ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में शिक्षा के उद्देश्य | परिप्रेक्ष्य: भारतीय शिक्षा का स्वरूप, समस्या और समाधान

ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में शिक्षा के उद्देश्य
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भारत में शिक्षा के उद्देश्यों का ऐतिहासिक सन्दर्भ वैदिक काल से प्रारम्भ किया जा सकता है।
वैदिक काल के पश्चात् जैसे-जैसे विचारधाराओं में परिवर्तन आता गया और विचारधारा परिवर्तन के पश्चात् विचारधारा को शासक वर्ग द्वारा
पल्लवित और पोषित किया गया तद्नुरूप ही शिक्षा के उद्देश्यों में बदलाव आता चला गया और नवीन उद्देश्यों को सृजन होता चला गया।

वैदिक काल में शिक्षा के उद्देश्य – वैदिक काल (प्राचीन काल) में शिक्षा के निम्नलिखित उद्देश्य थे-

1. धार्मिकता एवं ईश्वर-

भक्ति-प्राचीन काल में धर्म को बड़े आदर की दृष्टि से देखा जाता था।
ऋषि, महर्षि, पुरोहित आदि लोक शिक्षा का निर्धारण तथा शिक्षा देने का कार्य करते थे।
अतएव इस काल की शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ईश्वर की भक्ति तथा धर्म के नियमों का कठोरता के साथ पालन करना था।

2. चरित्र निर्माण-

प्राचीन भारत में शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य था बालक का चरित्र निर्माण करना।
उस समय एक विद्वान से एक चरित्रवान व्यक्ति उत्तम समझा जाता था। मनुस्मृति में ऐसा कहा गया है, ”
उन वेदों के विद्वान से जिनका जीवन पवित्र नहीं है, वह व्यक्ति कहीं अच्छा है तो सच्चरित्र परन्तु वेदों का कम ज्ञान रखता है।’

3. व्यक्तित्व का विकास –

प्राचीन भारत की शिक्षा में बालक के व्यक्तित्व निर्माण पर विशेष बल दिया जाता था।

व्यक्तित्व में आत्म सम्मान, आत्म विश्वास, आत्म संयम, न्याय, विवेक, कुशल वक्ता होना,
वाद-विवाद करने की योग्यता होना,
आदर्श चरित्रवान होना आदि गुण आवश्यक समझे जाते थे।

ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में शिक्षा के उद्देश्य

4. नागरिक तथा सामाजिक कर्त्तव्य का पालन करने योग्य बनाना-

प्राचीन भारत की शिक्षा का उद्देश्य बालकों को नागरिक तथा सामाजिक कर्त्तव्यों का पालन करने योग्य बनाना भी था।
बालकों को इस बात का बोध कराया जाता था कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और उसे समाज में रहकर अपना जीवन व्यतीत करना होता है।
व्यक्ति को अपने समाज तथा घर, परिवार और समाज के प्रति क्या उत्तरदायित्व होते हैं, आदि बातों का ज्ञान कराया जाता था।

5. सामाजिक कुशलता का विकास करना-

प्राचीन भारतीय-शिक्षा में व्यवसायिक शिक्षा की ओर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता था किन्तु कुछ ऐसी संस्थाएँ थीं जो व्यवसायिक शिक्षा का प्रबन्ध करती थीं,
ताकि बालक को व्यावसायिक शिक्षा दी जा सके और बालकों को व्यवहारिक जीवन में असफलता का मुँह न देखना पड़े और समाज में रहकर अपना जीवन सुखपूर्वक बिताए । ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में शिक्षा के उद्देश्य

6. राष्ट्रीय संस्कृति का संरक्षण–

वे अपनी साहित्यिक, सांस्कृतिक तथा व्यावसायिक परम्परा का संरक्षण कर सकें।
वर्ण-व्यवस्था तो थी ही इसी के अनुसार लोग कार्य करते थे।
परिणामस्वरूप राष्ट्रीय संस्कृति की सुरक्षा को बड़ा बल मिलता था। ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में शिक्षा के उद्देश्यV

बौद्धकालीन शिक्षा के उद्देश्य–

बौद्धकालीन शिक्षा के उद्देश्य वैदिक कालीन शिक्षा के लगभग समान ही थे ।
अन्तर मात्र इतना था कि वैदिक काल में जहाँ आध्यात्मिक विकास पर बल दिया गया वही दूसरी ओर बौद्धकाल में नैतिकता एवं शील पर अधिक ध्यान दिया गया। ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में शिक्षा के उद्देश्य

 

बुद्धकालीन शिक्षा के प्रमुख उद्देश्य

1. बौद्ध धर्म का प्रसार करना-

बुद्ध काल की शिक्षा संस्थाओं की स्थापना वास्तव में बौद्धधर्म के प्रचार के लिये बौद्ध भिक्षुओं को तैयार करने के लिए की गई थी।

2. व्यक्तित्व का विकास करना—

छात्रों के व्यक्तित्व का विकास करना भी बौद्धकालीन शिक्षा का एक प्रमुख उद्देश्य था।
बौद्ध मठों में छात्रों के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करके उन्हें श्रेष्ठ तथा कुशल मानव बनाने का यत्न किया जाता था।

3. जीवन के लिए तैयार करना-

शिक्षा का एक उद्देश्य छात्रों को भावी जीवन के लिए तैयार करना था।
बुद्धकालीन शिक्षा व्यवस्था में छात्रों को जीवनोपयोगी ज्ञान प्रदान करके जीविकोपार्जन के लिये प्रशिक्षित किया जाता था। ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में शिक्षा के उद्देश्य

4. नैतिक चरित्र का निर्माण करना-

बौद्धकालीन शिक्षा का सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य छात्रों के नैतिक चरित्र का विकास करना था।
क्योंकि बुद्धकाल में नैतिक आचरण पर अधिक जोर दिया जाता था।

 

मध्यकालीन शिक्षा के उद्देश्य –

मुस्लिमकालीन शिक्षा के उद्देश्य पर दृष्टिपात करने यह ज्ञात होता है कि इस काल की शिक्षा का कोई एक उद्देश्य नहीं था बल्कि

इसके उद्देश्यो में विभिन्नता पाई जाती है। यद्यपि मुस्लिमकालीन शिक्षा के अनेक उद्देश्य थे तथापि

इस शिक्षा के कुछ निश्चित उद्देश्य भी थे जो निम्न प्रकार थे- ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में शिक्षा के उद्देश्य

1.इस्लाम धर्म का प्रचार करना

2. मुस्लिम शिक्षण संस्थाओ के निर्माण पर धयान

3.चरित्र निर्माण पर धयान देना

4.पवित्रता की भावना

5.नाकिकता पर बल

6.राजनीती उद्देश्य

7. मुसलमानों का बौद्धिक विकास करना

8.अनिवार्य शिक्षा का प्रसार करना

9. सांसारिक वैभव की प्राप्ति ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में शिक्षा के उद्देश्य

ब्रिटिश काल में शिक्षा के उद्देश्य–

ब्रिटिश काल में शिक्षा के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित थे- ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में शिक्षा के उद्देश्य

1.पाश्चात्य ज्ञान व विज्ञान का प्रसार करना।

2.अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा प्रदान करना ।

3.ईसाई धर्म का प्रचार करना ।

4.व्यावसायिक शिक्षा का विकास करना ।

5.राष्ट्रीय चरित्र का विकास करना।

6.अंग्रेजी साहित्य का प्रचार एवं अंग्रेजी संस्कृति को बढ़ावा देना।

7.भारतीयों को राजकीय कार्यालयों में निश्चित अधीनस्थ स्थानों के लिये तैयार करना ।

ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में शिक्षा के उद्देश्य

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