असमानता,लैंगिक असमानता का अर्थ एवं कारण
शिक्षा द्वारा लैंगिक असमानता को दूर करने के उपाय
What do you understand by Inequality ? Describe meaning and causes of gender inequality. Give measures for removing gender inequality by education
समाज में आज भी बहुत सी रंग-रूप,भेद-भाव आदि प्रकार की असमानता देखने को मिलती है तो आज यहाँ पर शिक्षा द्वारा लैंगिक असमानता को दूर करने के उपाय बताये गये है-
असमानता (Inequality)–
समाज में प्रचलित तथा व्याप्त असमानताओं को परिभाषित करते हुए समाजशास्त्रियों का कथन है कि मनुष्य में दो प्रकार की असमानताएँ हैं-
पहली प्राकृतिक तथा दूसरी सामाजिक ।
प्राकृतिक असमानताएँ मनुष्य की उम्र, लिंग (स्त्री, पुरूष) और व्यक्तित्व सम्बन्धी नैसर्गिक शारीरिक गुणों के कारण हैं, जबकि सामाजिक असमानताएँ उसके सामाजिक स्तर, व्यवसाय, जाति, धर्म और सम्प्रदाय के कारण हैं।
प्राकृतिक असमानताओं को तो स्वीकार किया जा सकता है, लेकिन सामाजिक असमानताओं को नहीं क्योंकि वे स्वाभाविक नहीं हैं। प्राकृतिक असमानताओं की क्षतिपूर्ति समाज द्वारा की जा सकती है परन्तु जो असमानताएँ समाज में मनुष्यों द्वारा गढ़ी गयी हैं, उन्हें चेष्टापूर्वक धीरे-धीरे समाप्त या कम किया जा सकता है।
लैंगिक असमानता (Gender Inequality)-
→लैंगिक असमानता से अभिप्राय है स्त्री व पुरुष को अवसरों व अधिकारों की दृष्टि से असमान समझना तथा केवल लिग के आधार पर उनमें किसी प्रकर से भी भेदभाव करना। अन्य शब्दों में, हम कह सकते हैं कि लैंगिक असमानता से अभिप्राय स्त्री और पुरुष अथवा लड़का या लड़की में पाई जाने वाली समानता की कमी या अभाव से है। अर्थात् स्त्री और पुरुष के एक-दूसरे के प्रति परस्प्र भेदभावपूर्ण व्यवहार से है। अत: कहा जा सकता है कि लिंग के आधार पर किए जाने वाले भेदभाव या असमानता के व्यवहार को लैंगिक असमानता कहा जाता है।
लैंगिक असमानता के कारण (Causes of gender Inequality)—
लैंगिक असमानता के निम्नलिखित कारण स्पष्ट दिखाई देते हैं-
1. सामाजिक समस्या-
लैंगिक असमानता हमारे देश में एक सामाजिक समस्या है. एक आदर्श महिला तथा पुरुष की पहिचान के प्रतिमान भिन्न हैं। पुत्री को जन्म से ही हेय दृष्टि से देखना, दहेज-प्रथा, अशिक्षा आदि के कारण लैंगिक असमानता बनी हुई है।
2. सांस्कृतिक समस्या–
पुरुष प्रधान समाज में नारी के सांस्कृतिक स्वरूप की त्रुटिपूर्ण व्याख्या प्रस्तुत करने तथा पुरुष को गरिमा मंडित करने के कारण भी सामंजस्य में बाधा उत्पन होती है तथा महिलाओं को स्वतंत्रता प्रदान करने में बाधा उत्पन्न होती है।
3. मनोवैज्ञानिक समस्या–
महिलाएँ मनोवैज्ञानिक रूप से भी इस असमानता की जिम्मेदार हैं। पूर्वाग्रहों से ग्रसित होने के कारण प्राय: स्त्री ही स्त्री के विकास में बाधा उत्पन्न कर देती है। प्रौढ़ शिक्षा द्वारा इस दिशा में प्रयास किया जा रहा है।
4.आर्थिक समस्या –
लैंगिक असमानता के मूल में आर्थिक पक्ष भी है। कन्या को आर्थिक बोझ तथा पुत्र को आर्थिक वरदान माना जाता है। शिक्षा द्वारा इस मानसिकता को भी दूर करना आवश्यक है।
♦ शिक्षा द्वारा लैंगिक असमानताओं को दूर करने के उपाय-सामाजिक संरचना के संदर्भ में लैंगिक असमानता को दूर करना अनिवार्य है क्योंकि जो समाज इस दिशा में पिछड़ जाता है वह किसी भी प्रकार विकास नहीं कर पाता है।
लैंगिक असमानताओं को दूर करने के लिए विभिन्न प्रयास किये जा रहे हैं, इनमें से प्रमुख प्रयास निम्नांकित हैं-
1. सभी बालिकाओं के लिए निःशुल्क पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध कराना ।
2. बालिकाओं की शिक्षा के लिए और सहयोग प्रारम्भिक शिशु देख-रेख सुविधाओं के लिए नवाचारी क्रियाकलाप के अन्तर्गत विशेष निधियों का प्रावधान
3. ग्राम शिक्षा समितियों/अभिभावक शिक्षक संघों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व ।
4. विद्यालयों में बालिकाओं के लिए सुविधाएँ बनवाना ।
5. भर्ती किए जाने वालों में 50 प्रतिशत शिक्षक महिलाएँ होंगी।
6. सेवाकालीन शिक्षक प्रशिक्षण के माध्यम से स्त्री-पुरूष संवेदनशीलता।
7. स्त्री-पुरुष अनुरूपी पाठ्यक्रम तथा शिक्षण-अध्ययन सामग्री/पाठ्यपुस्तकें आदि तैयार
8. बालिकाओं की शिक्षा की आवश्यकता के लिए पंचायती राज तथा समुदाय आधारित संगठनों का संवेदनशील बनाया जाएगा।
9. प्रारम्भिक शिक्षा पद्धति में स्त्री-पुरुष संवेदनशील आयोजन तथा स्कूलों का प्रबन्धन।
10. शिक्षा गारण्टी तथा वैकल्पिक नवाचारी योजना के माध्यम से भिन्न-भिन्न आयु वर्गों की बालिकाओं के अनुरूप लचीली शिक्षा पद्धतियाँ प्रदान करना ।
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