विविधता का अर्थ | भारत में क्षेत्र, भाषा, जाति तथा धर्म आधारित विविधताएँ

भारत में क्षेत्र, भाषा, जाति तथा धर्म आधारित विविधताएँ
the diversities based on region, language, caste and religion

विविधता का अर्थ

विविधता का अर्थ (Meaning of Diversity) –

सामान्यत: विविधता का तात्पर्य असमानता, परन्तु हमारे उद्देश्य की पूर्ति के लिए इसका अर्थ असमानता के अतिरिक्त कुछ और भी है। इसका अर्थ है सामूहिक असमानता अर्थात् ऐसी असमानता जिससे एक वर्ग के लोगों को दूसरे वर्ग के लोगों से अलग किया जा सके। यह असमानता किसी भी प्रकार की हो सकती है, जैसे—जैवकीय, धार्मिक, भाषायी आदि । विविधता का अर्थ

भारत में विविधता के रूप (Forms of Diversity in India) –

भारत में विभिन्न प्रकार की विभिन्नताएँ पाई जाती हैं, इनमें से कुछ महत्त्वपूर्ण प्रकार की विभिन्नताएँ निम्नलिखित है

1. क्षेत्रीय विविधताएँ— विविधता का अर्थ

भारत में अनेक प्रान्त हैं। प्रत्येक प्रान्त की जलवायु भिन्न है और उसकी भौगोलिक विशेषताएँ दूसरों से अलग हैं। कुछ क्षेत्रों के प्राकृतिक दृष्टि से समृद्ध होने के कारण यहाँ के लोग सब प्रकार की सुविधाओं से युक्त जीवन व्यतीत करते हैं तथा कुछ क्षेत्रों में लोगों को प्रकृति से संघर्ष करना पड़ता है। कुछ क्षेत्र सम्पन्न हैं तो कुछ गरीब । इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का रहन-सहन, बोल-चाल, खान-पान, रीति-रिवाज तथा धर्म-कर्म एक- हैं दूसरे से भिन्न हैं। स्पष्ट है कि भारत में क्षेत्रीय विविधताएँ भी प्रचुर मात्रा में देखने को मिलती हैं । विविधता का अर्थ

2. भाषायी विविधताएँ –

भारत में 1971 ई. की जनगणना में 1652 भाषाएँ रिपोर्ट की गई हैं, जो मातृभाषा के रूप में बोली जाती हैं। यह सभी भाषाएँ समान रूप से भारत में सब स्थानों पर नहीं बोली जाती हैं। इनमें से कुछ जनजातीय भाषाएँ कुल जनसंख्या के एक प्रतिशत से भी कम लोगों द्वारा बोली जाती हैं। स्पष्ट है कि भारत में कितनी अधिक भाषायी विविधता है। विविधता का अर्थ

3. धार्मिक विविधताएँ—

भारत अनेक धर्मों की भूमि है। यहाँ हमें अलग-अलग धर्मों और मतों के अनुयायी मिलते हैं। विशेषतया इनमें हिन्दू जनसंख्या, मुसलमान, ईसाई, सिक्ख, बौद्ध, जैन और पारसी हैं। 1981 की जनगणना के अनुसार हिन्दू धर्म मानने वाले कुल जनसंख्या का 82.64 प्रतिशत है। दूसरे स्थान पर इस्लाम धर्म है, जिसके मानने वालों का प्रतिशत 11.35 है। ईसाई धर्म, सिक्ख धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म मानने वाले क्रमश: 2.43 प्रतिशत 1.96 प्रतिशत, 0.71 प्रतिशत और 0.48 प्रतिशत हैं। बहुत कम अनुयायियों वाले धर्मों में यहूदी तथा पारसी आते हैं। विविधता का अर्थ

4. जातीय विविधताएँ-

भारत में प्राचीन काल से ही जाति प्रथा रही है। आज भी यहाँ रीति-रिवाज, परम्पराएँ अनेक जातियों व प्रजातियों के लोग रहते हैं। इन सबका रहन-सहन,तथा व्यवसाय आदि अलग-अलग है। इन सबकी जातीय विशेषताओं को ग्रहण करके भारतीय संस्कृति के स्वरूप में सम्पन्नता आई है।

5. सांस्कृतिक विविधताएँ-

भारत में अनेक राज्य हैं। प्रत्येक राज्य में रहने वाले लोगों का रहन-सहन, भाषा, खान-पान तथा रीति-रिवाज भिन्न-भिन्न है। जब एक राज्य के लोग दूसरे राज्य में जाते हैं तो अपनी इन्हीं विशेषताओं के कारण एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। इस प्रकार इन विभिन्न राज्यों की विविधतापूर्ण संस्कृतियों ने मिलकर भारतीय संस्कृति को समृद्ध बना दिया है।

6. भौगोलिक विविधताएँ-

भारत के विभिन्न राज्य भौगोलिक दृष्टि से भी भिन्न-भिन्न विशेषताएँ रखते हैं, जैसे—किसी राज्य की भूमि अधिक उपजाऊ है तो किसी की कम। कहीं प्राकृतिक साधनों की प्रचुरता है तो कहीं कम। इन सबका प्रभाव वहाँ रहने वाले लोगों के जीवन एवं रहन-सहन के स्तर पर पड़ता है। इन सभी भौगोलिक विशेषताओं ने भारतीय संस्कृति को विविधता प्रदान की है।

 

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