शिक्षा के उद्देश्यों के विषय में जॉन डीवी के विचार | Describe the view of John Dewey about the aims of education.

शिक्षा के उद्देश्यों के विषय में जॉन डीवी के विचार

John Dewey about the aims of education

 जॉन डीवी के अनुसार शिक्षा के उद्देश्य-

  1. शिक्षा के पूर्व निश्चित उद्देश्यों में अविश्वास-जॉन डीवी एक प्रयोगवादी दार्शनिक है
    और इसलिए वह शिक्षा के किसी पूर्व निश्चित या उनके उद्देश्य में विश्वास नहीं करता है।
    उसका कथन है, “शिक्षा का तात्कालिक उद्देश्य सदैव होगा
    और जहाँ तक शिक्षा शैक्षिक होगी वह उस उद्देश्य को प्राप्त करेगी।”

# जॉन डीवी के अनुसार शिक्षा के उद्देश्य-

  1. अनुभवों का पुनर्निर्माण-डीवी का मत है कि कोई भी क्रिया निरुद्देश्य नहीं होती है
    और प्रत्येक क्रिया में कोई उद्देश्य अवश्य होता है। पुनर्निर्माण से यह भी अर्थ प्रकट होता है कि
    जो कुछ पहले था उसका फिर से निर्माण करना। इसके बाद यह माना जाना चाहिए कि जॉन डीवी के अनुसार,
    शिक्षा का उद्देश्य उन अनुभवों की अभिव्यंजना करना है जो कि पहले से ही प्राप्त हो।
    वास्तव में शिक्षा का कार्य हमारे भूतकालीन अनुभवों का संरक्षण भी है।

 

 @ जॉन डीवी के अनुसार शिक्षा के उद्देश्य-

  1. वातावरण के साथ अनुकूलन-जॉन डीवी ने शिक्षा का उद्देश्य वातावरण के साथ अनुकूलन स्थापित करना भी माना है वह लिखता है,
    “शिक्षा का उद्देश्य वातावरण के साथ अनुकूलन स्थापित करना है।
    शिक्षा समायोजन की एक प्रक्रिया है जिसका प्रत्येक अवस्था में उद्देश्य होता है— विकास की क्षमता को देना।

 

जॉन डीवी के अनुसार शिक्षा के उद्देश्य-
  1. गतिशील एवं अनुकूलन योग्य मन का निर्माण-जॉन डीवी शिक्षा का तात्कालिक उद्देश्य गत्यात्मक तथा लचीले मन का निर्माण करना मानता है।
    उसका विचार है कि इस उद्देश्य के चरण सामने रख कर हम शिक्षा के पूर्व निर्धारित उद्देश्यों की वृद्धि कर सकते हैं। जॉन डीवी ने लिखा है,
    “एक गतिशील अनुकूलन योग्य मन का विकास करना जो सभी परिस्थितियों में साधन-सम्पन्न साहसयुक्त हो, ऐसा मन जिसमें अज्ञात भविष्य में मूल्यों के निर्माण की शक्ति हो।”

 

 जॉन डीवी के अनुसार शिक्षा के उद्देश्य-

  1. सामाजिक कुशलता की प्राप्ति-उपर्युक्त उद्देश्यों के अतिरिक्त जॉन डीवी ने शिक्षा का उद्देश्य
    सामाजिक कुशलता को प्राप्त करना भी बतलाया है। सामाजिक कुशलता का तात्पर्य यह है कि
    व्यक्ति को किसी योग्यता की प्राप्ति हो जाये और वह समाज के समस्त कार्यों में यथाशक्ति योगदान दे सके।
    लोकतंत्र में इस बात की आवश्यकता है कि सभी नागरिक अपने कार्यों एवं उत्तरदायित्व को स्वयं ग्रहण करें
    और यह तभी सम्भव है जबकि नागरिकों में सामाजिक कुशलता की योग्यता हो।
    सामाजिक कुशलता के अन्तर्गत जॉन डीवी निम्नलिखित सात प्रकार की योग्यताओं को स्थान देता है-

(i) स्वास्थ्य, (ii) क्रिया करने की क्षमता, (iii) योग्य गृहस्थ, (iv) व्यवसाय, (v) नागरिकता, (vi) अवकाश-काल का उचित उपयोग तथा (vii) नैतिकता और चरित्र ।

यह उद्देश्य इतने विशद और विस्तृत है कि इनमें व्यक्तित्व के सभी गुणों का समावेश हो जाता है ।
इस उद्देश्य के अंतर्गत शिक्षा के सांस्कृतिक, व्यावसायिक, नैतिक, नागरिकता सम्बन्धी, स्वास्थ्य एवं विकास सम्बन्धी सभी उद्देश्य आ जाते हैं।

 जॉन डीवी के शिक्षा के उद्देश्य विडियो देखें-

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जॉन डीवी के अनुसार शिक्षा के उद्देश्य

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